लेखनी कविता -अब तो हम हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी

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अब तो हम हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी अब तो हम हैं और भरी दुनियाँ की हैं तनहाईयाँ. "याद थीं हमको भी रंगारंग बज़्म अमराईयाँ ". जल्वा-ए-लैला हो ऐ दिल! या ज़ुनुने-क़ैस ...

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